अध्याय 138 भाग 2

एवरी

एक नई अनुभूति हमारे अंदर रेंगती है, एक ठंडी, भयावह उपस्थिति जो हमारी रीढ़ में सिहरन पैदा करती है। छायाएँ सघन होती प्रतीत होती हैं, एक आकृति बनाती हैं, एक महिला जिसकी हरी आँखें और शरारती मुस्कान है। "आह, एवरी," आकृति फुसफुसाती है, उसकी आवाज़ एक सेक्सी फुसफुसाहट है। "तुम सोचती हो कि तुम मुझस...

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